सुबह सुबह सपना आया और आँख खुल गयी. तभी से कुछ बेचैनी होने लगी और मन व्यचलित था. कुछ काम करने की इच्छा नहीं थी.
"सपने में गौरी को जो देखा था, उसकी बेटी के साथ."
सुबह साढ़े छ बजे ही गौरी को फोन किया मगर नेटवर्क प्रोब्लेम की वजह से उसकी आवाज सही नहीं सुनाई दी.
खैर ऑफिस के लिए देर हो रही थी सो जल्दी से तैयार होकर ऑफिस के लिए रवाना हो गयी. पुरे रास्ते मन उसके ही बारे में सोच रहा था. कैसे मेरी और उसकी दोस्ती हुई कैसे हम बेस्ट फ्रेंड बने, हमारे आदतें, हरकतें ........ ओह कभी न भुलानेवाली यादें.
उसकी जगह आज तक कोई भी मेरी जिंदगी में नहीं ले पाया. उसकी और मेरी जिंदगी में बहुत सी बातें सामान थी. आदतें और शौक और न जाने क्या क्या...... कभी कभी तो लगता था की भगवान ने हमारी कुंडली के बीच कार्बन पेपर लगा दिया है.
यहाँ तक हमारी शादी की तारीख में भी ज्यादा अंतर नहीं था. पर एक अंतर ......... और शायद यही अंतर आज मुझे सता रहा था.
आदित्य और मेरी शादी इंटरनेट मेट्रीमोनी साईट द्वारा हुई. हमारे खानदान में मैं बहुत फॉरवर्ड लड़की थी. मरे पिताजी ने शायद मेरी काबिलियत और जिंदगी जीने के तरीके को देख कर मुझे मेरी पसंद का लड़का खुद ही देखने को कह दिया.
मैं करियर ओरिएन्तेद और लडके और लड़की को सामान मानने वाली लड़की थी, सो मुझे अपनी पसंद का लड़का धुन्धने के लिए मेट्रीमोनी साईट का सहारा लेना पड़ा.
हॉउस वाइफ बनना मुझे कतई पसंद नहीं था. तो मैंने थान लिया की अब तो घर पर नहीं बैठना है. नौकरी धुन्धना शुरू किया और शादी के तिन महीने बाद ही एक मल्तिनाशानल कंपनी में असिस्तंस मनेजर की पोस्ट पर जॉब भी लग गयी.
मेरी तरह आदित्य भी बहुत अम्बिशियास था. न्यूक्लियर फॅमिली, अच्छी जॉब, वीकएंड पार्टीज, बस और क्या चाहिए था.
एक साल में ही हमने फ्लैट और जरुरत की सुख सुविधा के सभी सामान ले लिए थे. और इन सभी साधनों के मेंटेनन्स में इतने जुट गए की DINK (Double Income no kids) policy अपनाने का फैलसा किया. और इस फैसले पर हमें कोई अफसोस नहीं था.
खैर देर शाम को जब गौरी का फोन आया की वो माँ बन गयी है, तो अचानक इतनी ख़ुशी हुई की मन में नहीं समां रही थी, फ्रेंडस, कलीग्स, सभी को बता दिया की गौरी को लड़की हुई है.
गौरी से बात होने पर जब मैंने उसे बताया की मैं ख़ुशी से इतनी पागल हो गयी की सब मुझे कह रहे थे ऐसा लग रहा हो मानो गौरी नहीं अनिषा ही माँ बन गयी है. तभी गौरी ने कहा "ये बेटी तेरी ही तो है" गौरी की उस एक बात के मन क्यों बेचैन हो गया? अचानक टीवी पे आने वाले बच्चों के साबुन का विद्यापन देखकर आँख क्यों भर आई?
क्या मेरा फैसला वाकई सही था?
क्या मेरी जिंदगी संपूर्ण है?
सभी की प्रोब्लेम्स चुटकियों में सोल्व करनेवाली अनिषा को आज उस के ही सवालों का जवाब नहीं मिल रहा!!
No comments:
Post a Comment