Friday, July 8, 2022

Ijazat 2

35 years of this masterpiece #Ijazat by #gulzar क्या होता अगर सुधा और महेन्दर अलग नहीं होते..... शायद ऐसा होता.... #ijazat2 की मेरी कल्पना .......... दिवाली आने वाली थी। इस बार की दिवाली दिवाली हर साल से अलग थी पर सुधा नहीं चाहती थी कि त्यौहार मायूसी के साथ मनाया जाये। वो चाहती थी रोहन को वो सारी खुशियां देना जो शायद आज महेन्दर ज़िन्दा होता तो रोहन को दे पाता। महेन्दर को गये सात महीने हो गये मगर एक दिन भी ऐसा नहीं जाता था जब रोहन की गैर मौजूदगी में सुधा की आँखों से और आंसू ना छेलकते हो। रोहन स्कूल से लौटा तो उसने सुधा को स्टोररूम की सफाई करते देखा अपना बैग सोफे पर ही रखकर वो स्टोररूम में गया। रोहन: माँ आज आप स्कूल नहीं गयी? सुधा: नहीं दो दिन की छुट्टी ली है। दिवाली आने वाली है बहुत कम दिन है। रोहन : ओह चलों में भी Help कर देता हूँ, सुधा:नहीं तू Fresh हो जा मैं खाना लगाती हूँ। सुधा Kitchen में गई और रोहन को Store Roomमें इतना सारा पुराना सामान देखकर उत्सुकता हुई वो बडे कौतुहल से पुरानी poetry Books, Paint Brushes देखकर खुश हुआ| थोडा आगे बढ़ा तो दायीं ओर एक बड़ा ड्रम था जिस पर महिन्दर की photo एक frame में लगी हुई थी. "papa की photo store में क्यूं रखी है? रोहन सोचने लगा और जैसे ही उसने वो frame उठायी वो उसके हाथ से फिसल कर गिर गयी। सुधा : (किचनसे) रोहन: क्या गिरा रोहन ? कुछ नहीं मां, सब ठीक है। सुधा: तू जल्दी आ, खाना गरम हो गया है। रोहन: हां माँ, बस दो मिनट रोहन डर गया उसने जल्दी से नीचे गिरे टूटे हुए कांच के टुकडे उठाना शुरू किया। अचानक उसकी नजर एक Folded paper पर पड़ी जो frame के अन्दर photo के पीछे छिपा था। रोहन ने उसे खोलकर देखा तो वो एक चिठ्ठी थी। महेन्दर के लिये लिखी हुई माया की चिट्ठी । रोहन ने फटाफट कांच के टुकड़े समेटे, और चिठी पॉकेट में रख ली और Kitchen की ओर दौडा । जल्दी से खाना खा कर रोहन अपने कमरे में गया और दरवाजा बंद कर लिया। इसे अचानक क्या हुआ? ये सोचते सोचते सुधा फिर स्टोर रूम में चली गयी। यहाँ रोहन ने वो Letter पढना शुरू किया - प्रिय महेन, Kaise ho, haan maloom hai mujhe, jaisi Mai hoon waise toh bilkul nahi ho tum. Tumhare bina jitni bezar Meri kaifiyat hoti hai tum shayad utne hi khush hote ho. Sochte honge chalo kuch din ke liye peechha chhoota. Shikayat nahi Kar rahi hoon magar thodi naraz hoon. Tum, bina bataye Jo chale Gaye. Mister jab Mai jaungi na toh dhoondhte rah jaoge. Mahinder, tumhe yaad hai?? us din Craft fair me tumne mere liye blue pottery set liya tha.. Aaj ilaychi wali chai pi rahi hoon usi cup me... Tum jaldi aa jao us set se doosra cup bhi nikalna hai mujhe.... Tumhari 'Maya' ये चिठ्ठी पढते ही रोहन का के गुस्से का पारा चढ़ गया पापा ऐसा कैसे कर सकते हैं? माँ तो उन्हें कितना प्यार करती है। नहीं मैं मां को नहीं बताऊँगा यही सोचते हुए वह अपने दोस्त राहुल के घर चला गया। मगर राहुल के घर भी रोहन का मन कँहा लग रहा था कुछ देर बाद रोहन फिर घर आ गया। अपनी माँ से नजरे नहीं मिला पा रहा था रोहन इसिलिए सीधे अपने रूम में जाकर Laptop on करके बैठ गया जैसे तैसे शाम हुई और सुधा ने आवाज लगायी - रोहन कहाँ हो? क्या बात है आज पूरे दिन रूम में? Exams तो दूर है अभी फिर इतनी Serious studies? सुधा ने हंसते हुए तंज़ कसा। रोहन के सुरक्षा से सुधा को अनदेखा करते हुए अपने कमरे से बाहर निकला और से फिर Kichen में जाकर Fridge se पानी की bottle निकाली और पानी पीने लगा कि अचानक उसकी नजर Blue pottery vase पर गयी बाहर आकर उसने सुखा से पूछा " माँ ये इतना सुन्दर Vase कब लायी ?" सुधा: "अरे ये दोपहर को स्टोर की सफाई कर रही थी ना, वहीं मिला। तुम्हारे पापा को Bhue Portrey बहुत पसंद थी। कहकर वो मुस्कुराई और राहुल का पारा और चढ गया और वो गुस्से से फटाफट खाने के लिए कुछ ढूंढने लगा। सुधा कुछ समझ ना पायी मगर उसे ये पता चल गया था कि रोहन किसी बात से नाराज है। सुधा ने रोहन का हाथ पकड़ा और पूछा " क्या बात है रोहन ? किस बात की नाराजगी है? Mood क्यूं खराब है तुम्हारा? रोहन ने दिन भर जिस गुस्से को दबा रखा था वो अचानक फट पडा। रोहन: "कुछ नहीं जानती मां, बहुत भोली हो आप | जिनको आप दिन रात याद करती रहती हो ना उन्होंने आपको धोखे के अलावा कुछ नहीं दिया अब सुधा से रहा नहीं गया और उसने रोहन को जोर से थप्पड लगाया। रोहन के तेज गति से अपने कमरे की तरफ बढ़ा और सुधा उसके पीछे पीछे भागने लगी। "रोहन रुक जा, तुझे समझ नही जरा सी भी ? अपने पापा के बारे में कोई इस तरह की बात करता है? रोहन: मुझे पता था आपको मेरी बात पर विश्वास नहीं होगा। मगर कब तक आप ऐसे इंसान को याद करके रोती रहोगी? ये लो " रोहन ने वो ख़त सुधा को दिया उस को खत पढ़ते सुधा की आँखों से आँसुओं की धार बहने लगी। रोहन से रहा नहीं गया और वो सुधा को लिपट गया। सुधा : तुझे ये चिट्ठी कहा मिली ? रोहन: Store room में photo frame के अंदर छिपी हुई थी। सुधा: किसी और की चिट्ठी यूं पढ़ना गलत है ना रोहन रोहन: मां, तुम अब भी मुझे ही डांट रही हो ? सुधा: हां, क्योंकि, यूं चोरी से चिट्ठी पढने से तूने इतने प्यारे इंसान पर शक किया। माया उनका पहला प्यार थी। महेन्दर जब तेरे दादाजी से मिलने आये तब माया के बारे में बताने ही वाले थे कि उससे पहले ही दादाजी ने उन्हें अपनी तबियत का वास्ता देकर मुझसे शादी करने को मना लिया। महेन्दर जब वापिस शहर आके माया को फोन किया तो माया की phone किया तो एक हफ्ते तक उसने phone नहीं उठाया, फिर उन्होंने माया के office जाकर पता किया तो पता चला कि माया Hospital में admit है। कैंसर की आखिरी Stage पर थी वो। महेन और माया एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे। माया एक free spirit लडकी थी जिसे poetry और painting का बहुत शौक था। महेंदर ने शादी से पहले ही मुझे सब कुछ बताया था। हमारी शादी के बाद जब उसका painting brushes और poetry books घर में देख सी तो बडी जलन होती थी मगर महेन्दर ने मेरे लिए अपने प्यार में कोई कमी नहीं रखी। एक दिन जब महिन्दर को पता चला कि माया की चीजों को देखकर मुझे गुस्सा आ जाता है, उन्होंने माया का एक खत मुझे पढने को कहा। इतना प्यार और पागलपन था उस खत में कि मेरे आँखों से आंसू निकलने लगे। हमारी शादी के एक महिने पहले ही Maya इस दुनिया से जा चुकी थी। Rohan : sorry मां। मैं कितना Stupid और Lucky हूं कि मुझे इतने प्यारे parents मिले। सुधा ने Rohan की मुस्कुराते हुए गले " लगा लिया। #storyteller #arpitawafa

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